ॐ जय जगदीश हरे
भगवान श्री नारायण को समर्पित एक भजन
श्लोक
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥
अनुवाद
ॐ, हे ब्रह्मांड के स्वामी, आपकी जय हो! हे स्वामी, आपकी जय हो!
आप अपने भक्तों और सेवकों के संकटों को एक क्षण में दूर कर देते हैं।
श्लोक
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥
अनुवाद
जो भी आपका ध्यान करता है, उसे उत्तम फल मिलता है और मन के दुःख नष्ट हो जाते हैं।
घर में सुख-समृद्धि आती है और तन के कष्ट मिट जाते हैं।
श्लोक
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी ॥
अनुवाद
आप ही मेरे माता और पिता हैं, मैं और किसकी शरण में जाऊं?
आपके बिना मेरा कोई दूसरा नहीं है, जिससे मैं कोई आशा कर सकूं।
श्लोक
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॥
अनुवाद
आप ही पूर्ण परमात्मा और सबके अन्तर्यामी हैं।
हे परब्रह्म परमेश्वर, आप ही सबके स्वामी हैं।
श्लोक
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता ॥
अनुवाद
आप करुणा के सागर और सबके पालनकर्ता हैं।
मैं मूर्ख और दोषपूर्ण हूँ, फिर भी मैं आपका सेवक हूँ और आप मेरे स्वामी हैं; हे प्रभु कृपा करें।
श्लोक
तुम हो एक अगोचर, सब के प्राणपति ।
किस विधि मिलूँ दयामय, किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति ॥
अनुवाद
आप एक हैं, इंद्रियों से परे, और सभी के प्राणों के स्वामी हैं।
हे दयामय, मैं, कुबुद्धि वाला, आपसे किस प्रकार मिल सकता हूँ?
श्लोक
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, अपनी शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥
अनुवाद
आप दीनों के बंधु और दुःखों को हरने वाले हैं, आप ही मेरे ठाकुर हैं।
अपना हाथ उठाकर मुझे अपनी शरण में ले लो, मैं आपके द्वार पर पड़ा हूँ।
श्लोक
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ॥
अनुवाद
मेरे सांसारिक दोषों को मिटाओ, हे देव, मेरे पापों को हर लो।
मेरी श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाओ, और संतों की सेवा में मेरा मन लगाओ।
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