ऐगिरि नन्दिनि
भगवती माँ दुर्गा को समर्पित एक भजन
श्लोक
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते।
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥
अनुवाद
हे गिरिपुत्री, पृथ्वी को आनंदित करने वाली, विश्व का मनोरंजन करने वाली, नंदी द्वारा वंदित!
हे विंध्याचल की चोटी पर निवास करने वाली, विष्णु में विलास करने वाली, जिष्णु द्वारा प्रशंसित!
हे भगवती, नीलकंठ की पत्नी, अनेक परिवारों वाली, बहुत कुछ करने वाली!
हे महिषासुर का मर्दन करने वाली, सुंदर जटाओं वाली, शैलपुत्री, तुम्हारी जय हो, जय हो!
श्लोक
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते।
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ।
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥
अनुवाद
हे देवताओं पर वरदान बरसाने वाली, दुर्धर्ष को भी पराजित करने वाली, दुर्मुख के अपमान को सहन करने वाली, हर्ष में रत रहने वाली!
तीनों लोकों का पोषण करने वाली, शंकर को प्रसन्न करने वाली, पापों को दूर करने वाली, घोष में रत रहने वाली!
दनु के वंशजों पर क्रोध करने वाली, दिति के पुत्रों पर रोष करने वाली, दुर्मद को सुखाने वाली, हे सिन्धुसुता!
हे महिषासुर का मर्दन करने वाली, सुंदर जटाओं वाली, शैलपुत्री, तुम्हारी जय हो, जय हो!
श्लोक
अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्बवनप्रियवासिनि हासरते।
शिखरिशिरोमणितुङ्गहिमालयशृङ्गनिजालयमध्यगते ।
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥
अनुवाद
हे जगदम्बा, मेरी माँ, कदम्ब वन में प्रेम से वास करने वाली, हास्य में रत रहने वाली!
पर्वतों के शिरोमणि ऊँचे हिमालय की चोटी पर अपने निजालय में स्थित रहने वाली!
मधु के समान मधुर, मधु-कैटभ का नाश करने वाली, कैटभ का भंजन करने वाली, रास में रत रहने वाली!
हे महिषासुर का मर्दन करने वाली, सुंदर जटाओं वाली, शैलपुत्री, तुम्हारी जय हो, जय हो!
श्लोक
अयि शतखण्डविखण्डितरुण्डवितुण्डितशुण्डगजाधिपते।
रिपुगजगण्डविदारणचण्डपराक्रमशुण्डमृगाधिपते ।
निजभुजदण्डनिपातितखण्डविपातितमुण्डभटाधिपते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥
अनुवाद
हे, जिसने गजाधिपति के बिना सिर वाले धड़ को सौ टुकड़ों में खंडित कर दिया और सूंड को काट दिया!
जिसका सिंह, अपनी शक्तिशाली सूंड से, शत्रु गजों के गालों को विदीर्ण करने में चंड पराक्रमी है!
जिसने अपनी भुजाओं के बल से शत्रु योद्धाओं के कटे हुए सिरों को गिरा दिया!
हे महिषासुर का मर्दन करने वाली, सुंदर जटाओं वाली, शैलपुत्री, तुम्हारी जय हो, जय हो!
श्लोक
अयि रणदुर्मदशत्रुवधोदितदुर्धरनिर्जरशक्तिभृते।
चतुरविचारधुरीणमहाशिवदूतकृतप्रमथाधिपते ।
दुरितदुरीहदुराशयदुर्मतिदानवदूतकृतान्तमते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥
अनुवाद
हे, जो युद्ध में मदमस्त शत्रुओं के वध से उत्पन्न हुई अदम्य और दिव्य शक्ति को धारण करती हैं!
जिन्हें चतुर विचार में प्रवीण महाशिव के दूत द्वारा बनाए गए प्रमथों ने अपना अधिपति माना है!
जिन्होंने दुष्ट, कुटिल, दुराशयी और दुर्मति वाले दानव दूतों का अंत कर दिया!
हे महिषासुर का मर्दन करने वाली, सुंदर जटाओं वाली, शैलपुत्री, तुम्हारी जय हो, जय हो!
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